नेपाल में लगभग आधे अनचाहे गर्भधारणों में से दो तिहाई होता है गर्भपात -रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र की यौन व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी - यूएनएफपीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में हर साल जितने गर्भ ठहरते हैं, उनमें से लगभग आधे यानि करीब 12 करोड़ 10 लाख गर्भ अनचाहे होते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में एक वर्ष में लगभग 12 लाख गर्भधारण होते हैं और उनमें से लगभग आधे अनजाने में होते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनचाहे गर्भधारणों में से लगभग दो-तिहाई गर्भपात होता है।
यूएन जनसंख्या व प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी - यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशिका नतालिया कैनेम के अनुसार, ये रिपोर्ट होश बहाल करने वाली पुकार है। अनचाहे गर्भ मामलों की ये संख्या, महिलाओं व लड़कियों के अधिकारों की बहाली व सम्मान करने में वैश्विक नाकामी दिखाती है। इस मानवाधिकार संकट के समाजों, महिलाओं और लड़कियों व वैश्विक स्वास्थ्य के लिये गम्भीर परिणाम होते हैं।
यूएन एजेंसी की ‘विश्व जनसंख्या स्थिति 2022’ नामक इस वृहद रिपोर्ट में कहा गया है कि अनचाहे गर्भधारण के मामलों में से लगभग 60 प्रतिशत की परिणति गर्भपात के रूप में होती है, और गर्भपात के कुल मामलों में से लगभग 45 प्रतिशत असुरक्षित होते हैं। जच्चा महिलाओं की 5 से 13 प्रतिशत मौतों के लिये ऐसे मामले ही जिम्मेदार होते हैं। ये स्थिति, वर्ष 2030 तक टिकाऊ विकास लक्ष्य (एसडीजी) हासिल करने में, विश्व की क्षमता पर भी व्यापक प्रभाव डाल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में गर्भधारण की इच्छा नहीं रखने के बावजूद प्रसव उम्र की लगभग 44 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के सुरक्षित और आधुनिक तरीकों का प्रयोग नहीं करती है। रिपोर्ट इस दावे का भी समर्थन करती है कि गर्भवती होने के बाद गर्भपात किया जा सकता है इसलिए अस्थाई साधनों का कम प्रयोग होता है। नेपाल में प्रजनन आयु की लगभग विवाहित महिलाओं में से 43 प्रतिशत ही परिवार नियोजन विधियों का उपयोग करती हैं। परिवार नियोजन की आवश्यकता के बावजूद सेवाएं नहीं पाने वाली महिलाओं की संख्या 24 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं और किशोरियों को उनके प्रजनन अधिकारों से भेदभावपूर्ण लिंग मान्यताएं वंचित करती हैं जो कारक बनती है उच्च अनचाहे गर्भधारण का। वहीं आषंका जतायी गयी है कि इससे भी ज्यादा यूक्रेन में युद्ध व अन्य स्थानों पर संघर्षों व संकटों के कारण गर्भ रोकने के साधनों की उपलब्धता में कमी और यौन हिंसा में बढ़ोत्तरी होने से अनचाहे गर्भधारण के मामलों में तेजी से बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।
यूएन एजेंसी की प्रमुख के अनुसार, प्रभावित महिलाओं के पास ये विकल्प ही मौजूद नहीं होता है कि उन्हें गर्भधारण करना है या नहीं, जबकि यह जीवन में बहुत व्यापक बदलाव लाने वाला एक प्रजनन विकल्प है।
रिपोर्ट में लैंगिक विषमता और अवरुद्ध विकास के कारण अनचाहे गर्भ मामलों में ज्यादा बढ़ोत्तरी होती है। उदाहरण के लिये, दुनिया भर में गर्भ से बचने वाली लगभग 25 करोड़ 70 लाख महिलाएँ गर्भ निरोध के लिये सुरक्षित व आधुनिक तरीके नहीं अपनाती है।
और जहाँ आँकड़े उपलब्ध हैं, वहाँ कुल महिलाओं में से लगभग एक चैथाई यानि 25 प्रतिशत महिलाएँ, यौन की मांग के लिये इनकार करने में खुद को सक्षम नहीं पाती।
अनचाहे गर्भधारण के लिये अनेक अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं जिनमें यौन व प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल के बारे में जानकारी व जागरूकता का अभाव, महिलाओं के लिये अनुपयुक्त गर्भनिरोधक साधनों का अभाव, महिलाओं को अपने खुद के शरीर पर नियंत्रण के मामलों में हानिकारण रीतियाँ, यौन हिंसा व प्रजनन प्रताड़नाय और स्वास्थ्य सेवाओं में शर्म महसूस करना शामिल है।
संघर्षों व संकटों की स्थिति में महिलाओं से हर स्तर पर उनके अधिकार व दर्जा छिन जाते हैं जिसके कारण अनचाहे गर्भ के लिये जोखिम बहुत तेजी से बढ़ता है।
यूएन एजेंसी की कार्यकारी निदेशिका डाॅक्टर नतालिया कैनेम कहती है अगर किसी के पास अपना घर छोड़ने के लिये केवल 15 मिनट का समय हो तो वो अपने साथ क्या लेकर चलेंगे? क्या वो अपना पासपोर्ट साथ रखेंगे? भोजन? क्या किसी को गर्भनिरोधक भी याद रहेगा?
उनका कहना है, ‘कोई संकट शुरू होने के दिनों, सप्ताहों और महीनों बाद के समय में यौन व प्रजनन स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवाएँ, लोगों की जिन्दगियाँ बचाती हैं, महिलाओं व लड़कियों को नुकसान से बचाती हैं और अनचाहे गर्भधारण को रोकती हैं। ये जरूरतें भी भोजन, पानी और आश्रय जितनी ही अहम हैं।’’
निर्णयकर्ताओं व सामुदायिक नेतृत्वकर्ताओं से महिलाओं व लड़कियों को, सैक्स, गर्भनिरोधक साधनों और मातृत्व के बारे में सकारात्मक निर्णयों लेकर महिलाओं व लड़कियों को सशक्त बनाने का भी आहवान किया गया है।
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