‘रामनवमी’ पर आखिर हनुमान की पूजा क्यों होती है ? (वीडियो सहित) - Nai Ummid

‘रामनवमी’ पर आखिर हनुमान की पूजा क्यों होती है ? (वीडियो सहित)


राम का नाम हमारी संस्कृति के कण-कण में विराजमान है। हिन्दू समुदाय के लोग रात में सोने से पहले और सुबह बिस्तर छोड़ने के पहले राम का नाम लेते हैं।  हिन्दू धर्म में अंतिम यात्रा के समय भी राम का ही नाम लिया जाता है। इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है, कि राम के नाम में कितनी सकती है। राम जिसके नाम का जाप ही भवसागर पार लगाने के लिए काफी है। जिसके जपने से ही लोग जन्म-जन्मांतर के बंधन से मुक्त हो सकता है। इसलिए राम नवमी हिन्दू समुदाय में लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

कहते हैं कि राम नवमी हिंदुओं के वैष्णव संप्रदायों के लिए बेहद खास होता है। वे इसे नौ दिनों तक ‘वसंत नवरात्रि’ के रूप में भी मनाते हैं।

Video - https://youtu.be/VutSgVhB3ac


रामनवमी का उत्सव

रामनवमी हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस कारण हिंदू धर्मशास्त्रों में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि अत्यंत ही महत्वपूर्ण मानी गयी है।

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अर्थात रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। भगवान राम के जन्म पर्व के कारण ही इसे रामनवमी कहते हैं। भगवान श्री राम को श्री हरी अर्थात विष्णु के सातवें अवतार के रूप में जाना जाता है। इसलिए भगवान श्री राम के जन्मोत्सव को रामनवमी के रूप में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है। 

सवाल उठता है कि आखिर रामनवमी पर हनुमान की पूजा क्यों ?

हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त थे। उन्होंने बनवास के दौरान प्रभु श्री राम का भरपूर साथ दिया। और सीता माता को लंका से वापस लाने में मदद की।

यही कारण है कि रामनवमी के अवसर पर प्रभु श्रीराम के पूजा के साथ हनुमान जी की भी पूजा होती है। रामनवमी के अवसर पर धवजारोहण भी किया जाता है। धवजारोहण भगवान राम के परम भक्त हनुमान को समर्पित है।

रामनवमी क्यों मनाई जाती है?

क्योंकि इसी दिन धर्म स्थापना के लिए भगवान श्री राम का अवतरण इस धरा पर हुआ था। भगवान विष्णु के सातवें अवतार के रूप में भगवान राम को माना जाता है। त्रेतायुग में धर्म की स्थापना के लिये श्री राम ने, विष्णु जी के सातवें अवतार के रूप में इसी दिन जन्म लिए थे। ताकि इस धरती से रावण जैसे अत्याचारियों का संहार किया जा सके। 

भगवान राम अपने 14 साल की वनवास की अवधि पूरी करने के बाद अयोध्या लौट आए। जिस दिन राम अयोध्या लौटे उस दिन पुरे अयोध्या में दीप जलाकर खुशियाँ मनाई गयी थी। तभी से प्रति वर्ष दीपावली के अवसर पर घर-घर में दिप जलाया जाता है। 


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