कोरोना कविता - Nai Ummid

कोरोना कविता



रत्नेश कुमार

                                कोरोना कविता  

काहे का रोना मिलजुल कर कुछ तो काम करो ना ,

बुद्धि दिमाग से तेज कर्म पथ पर रहो निस्तेज, 

लिखकर वस्तु विषय विशेष तुम कुछ नया करो ना।

पाठशाला ऑनलाइन रह कर बुद्धि धार तेज करो ना,

 चलो उठो क्यों हाथ धर कर बैठे हो, उम्मीद खुद से करो ना।

 चाचा कलाम की तरह चाँद पर चलना सीख,

  उठो एक नया कीर्तिमान बनाओ ना।

 अपने मन मस्तिष्क से पूछो रोज गाथा रचो, 

 कुछ तो सोच अपनी विकसित करो ना।

उठो चलो समय की बचत धार में,

प्रैक्टिस की बौछार में नया कीर्तिमान बुनो ना !



दो गज दूरी मास्क है जरुरी , परन्तु पढ़ने से न करो दूरी, 

आप के अन्दर छुपा है डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक,

सब मिलकर पुकारो समय के इस पथ पर ।

मेहनत कर अपना अपना मस्तक मन बढाओ,

आओ सब मिलकर कोरोना पर विजय पाओ !!

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