शिक्षक दिवस विशेष
रत्नेश कुमार :
लिख दे कलम स्याही से तकदीर मेरी,
अंधेरा दूर कर चल पड़ा हूं तेरे कदमों निशा पर
लिख दे कलम स्याही से तकदीर मेरी
जन्म से माता-पिता शिक्षक बनकर कर्म वचन से गुरुकुल में 12 वर्षों की अग्निवीर परीक्षा तप कर जल कर और निखर कर सीखा हमने आखर ज्ञान प्रश्नों की भूलभुलैया से सीखा उत्तर ज्ञान।
कर चले ए पथिक गुरु चरणों में तेरा स्थान आज शिक्षक दिवस पर हम सभी अपने अपने गुरुओं को याद कर रहे हैं उनके कर्म वचन को उनके द्वारा दी गई सीख शिक्षा को याद कर रहे हैं।
डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन एवं डॉ एस आर रंगनाथन व शिक्षा जगत में तमाम शिक्षकों को याद करते हुए उनकी कृतियों को याद करते हुए उनके गुणगान को अपनी यादों में समेटे हुए हम उन्हें पुरस्कृत होते हुए देख रहे हैं।
शिक्षक दिवस अपने आप में एक कलात्मक गुण है या इस प्रकार कहें परंपरागत रूप से बढ़ने वाली प्रक्रिया विद्यालय माहौल बच्चों में अच्छे संस्कार को करने के लिए जिस प्रकार आटे को गूंथा जाता है मिट्टी को भी गुंथा जाता है तब जाकर उससे कोई कलाकृति का निर्माण होता है । उसी प्रकार हमारे बच्चे जो के जी केजी क्लास से लेकर 12वीं क्लास तक हमारे पास रहते हैं हम उनके उज्जवल भविष्य के लिए रोज प्रतिदिन पठन-पाठन की प्रक्रिया में सुधार लेखन प्रक्रिया में सुधार श्रवण प्रक्रिया में सुधार वाणी प्रक्रिया में सुधार शारीरिक एवं मानसिक विकास अनेक गतिविधियों के माध्यम से करते रहते हैं ।
बच्चों की प्रथम पाठशाला माता-पिता उसके बाद गुरुकुल आज के समय में विद्यालय के रूप में देखी जा सकती है 12वीं के बाद कॉलेज स्तर विश्वविद्यालय स्तर अनेकानेक गतिविधियां चलती रहती हैं जिसके माध्यम से बच्चों के गुणात्मक विकास को हम आपस में साझा करते हैं और इसी उत्कृष्ट कार्यों के लिए राज्य सरकार में एवं केंद्र सरकार में शिक्षक पुरस्कार दिए जाते है।
राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय रमेश नगर नई दिल्ली 15 से मैं रत्नेश कुमार लाइब्रेरियन पद पर रहते हुए बच्चों और शिक्षक के बीच सामंजस्य के द्वारा पढ़ाई गई आधार संरचनाओं को सहेजने का काम करता हूं । पुस्तकों का समूह जिनमें अनेकानेक कहानियां अंग्रेजी भाषा हिंदी भाषा में विद्यालय पुस्तकालय में उपलब्ध हैं जिन्हें बच्चों को पढ़ने के लिए प्रचार प्रसार करता हूं । शिक्षक दिवस पर सभी बच्चों को उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं।
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