शिक्षा में कला - Nai Ummid

शिक्षा में कला


 कला में समेकित अधिगम

रत्नेश कुमार, लाइब्रेरियन:

शिक्षा में कला का उपयोग करने से बच्चों को उनकी अंतर्मन से प्रश्नों के उत्तर का अर्थात उनके जिज्ञासाओं प्रदर्शित करना दिखाया गया|


जब  विद्यालय के छात्रों को कला से जोड़ने का उद्देश्य लेकर कुछ करने का प्रयास किया तो उससे संबंधित प्रक्रिया करने में बच्चों ने भी अपना पूर्ण योगदान दिया जैसे की चित्रकारी के माध्यम से उन्होंने अपने मन में चल रहे विचारों को स्पष्ट चित्रण किया|  जैसा कि विद्यालय में सीखने से संबंधित अनेक अनेक कार्य किए जाते हैं जिनमें बच्चों को कहानी सुना कर, पुस्तक के पठन कर कहानी को पढ़कर,चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से अनेकानेक खेल विधि के माध्यम से इन सभी रूपों में कला का एक अंदाज बच्चों में बोलने की शैली शब्द रचना कहानी का निर्माण करना और इन सभी को अपने जीवन में आत्मसात करना जिससे कि उनका सर्वांगीण विकास हो सके इस पर विद्यालय शिक्षकों का योगदान विद्यालय में देखने को मिलता है|

बच्चों ने हमारे दिए गए कलात्मक कार्य में भाग लेते हुए सर्वप्रथम वार्तालाप गतिविधि को चुनाव किया जिसमें सभी वर्गों के बच्चों ने अपनी-अपनी विचारों के माध्यम से समस्याओं को रखा जैसे की प्रश्नोत्तरी के माध्यम से:-

1.  कला क्या है इसके हमारे जीवन में क्या प्रभाव होते हैं?

2. विद्यालय में कला को कैसे हम प्रदर्शित कर सकते हैं?

3. पुस्तकालय में कला के माध्यम से हम अपने विचारों को कैसे प्रदर्शित करेंगे?

4. क्या हम कला के माध्यम से किसी चित्रकारी का प्रदर्शन वह उसे अपने विद्यालय में समाहित कर सकते हैं?

5. हमें सीखने को क्या करना चाहिए जिससे हम शिक्षा और कला के बीच में एक सामंजस्य बना  सके?

सभी बच्चों के प्रश्नों को समझ कर और उस पर उत्तर देते हुए और साथ में उन को समझाते हुए वार्तालाप की गई इसका निष्कर्ष यह निकला बच्चों ने अपने अंतर्मन की परिस्थिति को सर्वप्रथम बोलकर व्यक्त किया जिससे हम कैसे करेंगे हम कैसे कर पाएंगे इस तथ्य को जानने और समझने की क्षमता का उनमें विकास हुआ|

शिक्षक के द्वारा छात्रों को मनोवृति को समझना है कि वह छात्र चाहते क्या है छात्र क्या कहना चाह रहे हैं उनकी बातों को समझ कर सोचकर उस पर अमल करते हुए विचार तथ्य निकालना होता है कि आखिर हमारे प्रयास से बच्चों में विकास कैसे संभव हो|     

शिक्षण में कला का अपना एक अलग ही महत्व होता है जिसके माध्यम से न सिर्फ हम शिक्षा के नए-नए आयामों को बना सकते हैं और उसे बच्चों में लागू कर सकते हैं|  उनके सहयोग से हमारे बच्चों ने इस प्रक्रिया में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जिसके अनुरूप में  आज हमारा विद्यालय एवं पुस्तकालय गौरवान्वित महसूस कर रहा है क्योंकि बच्चों के द्वारा बनाई गई चित्रकारी प्रदर्शनी या उनके विचारों से ओतप्रोत होता हुआ हमारा विद्यालय प्रांगण आज भाव विभोर हो रहा है|  

कला शिक्षा के दूसरे प्रारूप में अगर हम दृश्य कला यह प्रदर्शन कला के माध्यम से बच्चों के विचारों को देखते हैं तो हम पाते हैं कि हमारे विद्यालय बच्चे बहुत कुछ करना चाहते हैं हमें उनको तराशने की जरूरत है समझने की आवश्यकता है| 

विद्यालय की गतिविधि के माध्यम से बच्चों को अनेका अनेक कार्यों में गतिमान बनाते हुए उनके मस्तिष्क को माइंडफूलनेस का वातावरण देने का प्रयास करना चाहिए जिससे हुए स्वयं अपने विचारों को आत्मसात कर पाए और उन्हें प्रकट कर पाए| 

 कला एक शैक्षिक उपकरण के रूप में इस पर चर्चा करते हुए अभी के समय में वार्तालाप गतिविधि का सबसे बड़ा उदाहरण ऑनलाइन प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पठन प्रक्रिया चल रही|  इस प्रक्रिया में बच्चे अपने मनोभावों को सुनकर और बोलकर व्यक्त करते हैं| अगर इसके साथ कला को जोड़ दें तो इसका प्रभाव  बढ़ जाएगा| 

 शिक्षा और कला दोनों अपने आप में एक महत्वपूर्ण कड़ियां होती हैं जिनके माध्यम से हम अपनी बातों को तथ्यों को समाज के सामने रख पाते हैं और बच्चे अपने माता-पिता और समुदाय समाज के सामने रख पाते हैं|  उदाहरण स्वरूप आप समझ सकते हैं जब कोई बच्चा अपनी किसी पेंटिंग के माध्यम से अपना नाम - विद्यालय में बल्कि राज्य में और देश में या उसके कलात्मक कार्यों के माध्यम से उसका नाम जाना जाता है तो उस पर उसका प्रभाव संपूर्ण समाज को देखने को मिलता है| 

  हम बच्चों के शैक्षणिक कार्यक्रम को आसान भाषा में मनोरंजक बना सकते हैं|  हमारे विद्यालय राजकीय सर्वोदय बाल विद्यालय रमेश नगर नई दिल्ली 15, विद्यालय कोड  1516002,  बच्चों ने न्यूज़ पेपर कटिंग के माध्यम से अनेकानेक पोस्टर बनाए हैं जिनमें उन्होंने खेल विज्ञान, सामान्य ज्ञान विज्ञान घटनाएं, सामाजिक गतिविधि एवं राजनीतिक गतिविधि, सैनिक परिचय, पर्यावरण की रक्षा, जल प्रबंधन इलेक्ट्रॉनिक, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट, धरती से आसमान तक के सफर को प्रदर्शित किया है बच्चों ने अनेक अनेक पुस्तकों के लेखकों महान विभूतियों की गाथाओं को स्वतंत्रता सेनानियों के चित्रण को अपने प्रदर्शन कला के माध्यम से विकसित किया है जिनके उदाहरण हमारे विद्यालय में पुस्तकालय में देखा जा सकता है|  प्रदर्शन कला को और विकसित करने के लिए विद्यालय प्रशासन एवं पुस्तकालय समय-समय पर पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन करता रहता है जिससे बच्चों में कुशल मनोवृति का प्रादुर्भाव होता है जिससे उनमें पढ़ने लिखने बोलने और समझने की क्षमता का विकास   अपने आप होने लगता है|

उदाहरण स्वरूप एक प्रयोगात्मक विशेष तथ्य आपके समक्ष रखना चाहता हूं जिनमें आज तक आपने सुना होगा पुस्तक कभी बोलती भी है क्या अपनी मनो भावना को बता सकती हैं, यदि ऐसा नहीं तो हमारे विद्यालय के बच्चों ने पुस्तक को अपनी गतिविधि के माध्यम से जीवंत कर दिया| हमने छात्रों से उनकी पसंदीदा पाठ्यपुस्तक का रंगीन रेखांकन चार्ट पेपर पर करने को कहा और उसे ड्रेस की तरह पहने का सुझाव दिया|  इस क्रम में जो वार्तालाप हुआ उसे इस में जोड़ा गया| इस ऑनलाइन प्रयोगात्मक  प्रयोग में  कक्षा छठी से आठवीं लगभग  के 35 बच्चों ने भाग लिया  और लगभग सभी बच्चों ने पुस्तकों के बारे में बताते हुए एक  मॉडल के माध्यम से स्वयं को पुस्तक बनाया जिसमें जिसमें बच्चों ने अपना नाम एक पुस्तक के नाम से रखते हुए प्रस्तुतीकरण दिया उदाहरण स्वरूप कुछ बच्चों के नाम व उनके द्वारा की गई वार्तालाप आपके समक्ष रखी जा रही है जिसे कला में अधिगम का स्पष्टीकरण होता है:-

1. यह कथन आठवीं कक्षा के मयंक ने कहा :- मैं हिंदी की किताब,  मैं आपके कई काम आ सकता हूं  हम हमारे देश की राष्ट्रभाषा भी हैं मेरे दो विभाग होते हैं पहला हिंदी की किताब जिसे हम पाठ्यक्रम बोलते हैं और दूसरा व्याकरण जिसके माध्यम से हम प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं|  आप हिंदी से अंग्रेजी सीख सकते हैं मेरी भावनाओं को तब अच्छा लगता है जब आप लोग मुझे पढ़ने में रुचि दिखाते हैं मुझे पढ़ने के क्रम में शुद्ध शुद्ध उच्चारण करते हैं मेरी यही तमन्ना है और कामना है कि मुझे पढ़ने वाले बच्चे हमेशा सफल हो और उनकी वाणी विकास में सहायक बन सकूं|

2.दसवीं कक्षा के निपुण ने कहा मैं हूं गणित की किताब मुझमें समाई अंकों का ज्ञान नंबर जिनका होता जो समझे वह होता धनवान मैं हूं अंको का ज्ञान मुझ में रुपए पैसे परीक्षाओं के अंकन होता क्रिकेट का स्कोर  का ज्ञान, मैं हूं गणित महान|  मुझसे डरो नहीं दो-दो हाथ करो आओ मिलकर बात करो,  मुझसे होती समय का ध्यान दिन हो या रात हो अंको की बात हो या हो कोई सूत्र ज्ञान मैं सभी विषयों में महान|

3.बच्चों ने गणित के बारे में बताएं क्योंकि गणित वह माध्यमिक जिसके द्वारा हम लिखते हैं और अपने जीवन यापन के क्रम में उन सभी तथ्यों को समाहित करते हैं जिनका आधार गणित की  अंक पर निर्भर होता है|

4.आठवीं कक्षा के विशाल ने कहा मैं रिफरेंस बुक यानी इनसाइक्लोपीडिया मेरे अंदर समाहित है सभी विषय विश्व की इनसाइक्लोपीडिया|

5.छठी कक्षा के विश्वास ने कहा आई एम इंग्लिश बुक , डू यू रीड मी इनसाइड माय बुक लॉट्स ऑफ़ नॉलेजेबल स्टोरी लाइक  अरेबियन नाइट्स पंचतंत्र रेलवे चिल्ड्रन बायोग्राफी ऑफ अब्राहम लिंकन नेलसन मंडेला आइंस्टाइन महात्मा गांधी नंबर ऑफ ऑफिशियल लैंग्वेज ग्रामर  एक्स्ट्रा|

6. छठी कक्षा के  विपिन ने कहा मैं हूं विज्ञान की किताब मुझी में ऑक्सीजन कार्बन हाइड्रोजन नाइट्रोजन सभी गैसों का हिसाब किताब,  मुझ में ही खो जाओगे तो पाओगे आविष्कारों का सैलाब प्रयोग सभी बीमारियों का इलाज, मुझ में ही पाओगे  मैं हूं विज्ञान की किताब मुझ में समाया हुआ है जीवन मरण का रहस्य आओ मुझे पढ़ो मुझ को पढ़कर वैज्ञानिक बनोगे|

7. छठी कक्षा के   आशीष ने कहा मैं हूं सामाजिक विज्ञान मुझ में समाहित होता है इतिहास भूगोल नागरिक शास्त्र राजनीतिक शास्त्र मेरे अंदर होते देश-विदेश ग्रामीण स्तर नगर पंचायत मेरे होता संसद संविधान पर चर्चा मुझको पढ़कर चारों दिशाओं का ज्ञान जल थल नभ परिवार समुदाय राज्य देश विदेश सभी रूपों में स्वरूप ज्ञान मुझको पढ़कर नौकरी लेना होता सबसे आसान मैं हूं समाज का विज्ञान सामाजिक विज्ञान|

8. दसवीं कक्षा के सूरज प्रजापति छात्र ने पेंटिंग के माध्यम से कलाकृति बनाते हुए मानव मस्तिष्क की संरचना को दर्शाया है जिसमें सोचने और समझने की क्षमता विकसित होती है जिसके आधार पर हम कहते हैं नॉलेज इज द पावर इस बच्चे ने अपनी कलाकृति से विद्यालय पुस्तकालय में पठन शैली को भी दिखाया है|

निष्कर्ष :- सभी रूपों में देखा गया कि बच्चों ने अपने कलात्मक अंदाज में अपनी समझ के अनुसार पुस्तकों का वर्णन किया है | पुस्तक के महत्व को समझने की कोशिश की है इस प्रकार की प्रक्रिया में देखा गया कि वार्तालाप भी हुआ व्याख्यान भी हुआ और प्रदर्शन भी हुआ इसके माध्यम से कलाओं का विकास बच्चों में हम निरंतर करते रहेंगे जिससे उनमें पठन प्रक्रिया के प्रति जिज्ञासा प्रेरित हो और उनका विकास संभव हो |   अपने नाम के साथ साथ देश का भी नाम रोशन हो इसका भी प्रयास बच्चे स्वयं से करना सीख जाएंगे|

कलात्मक अंदाज में इस प्रदर्शन में बच्चों ने पोस्टर का इस्तेमाल किया जिनमें उन्होंने अपने मना: स्थिति के अनुसार अपनी सोचने की क्षमता को विकसित किया| पुस्तकों के बारे में वर्णन किया ,अनेकानेक  प्रयोग करने से उनमें गतिविधि के होने की अभिलाषा जागृत हुई और अपने अंतर्मन से कुछ नया करने की क्षमता का विकास होने से उनमें पठन अभिरुचि विकसित हुई|  इस प्रकार की प्रतिक्रिया करते रहने से विद्यालय परिपेक्ष में पढ़ने वाले बच्चों में एक नई जागृति का फैलाव होता है जिससे वैसे बच्चे भी प्रभावित होते हैं जो इस में भाग नहीं लेते|  दूसरों से सीख लेना और और उसको समझ कर उसमें हिस्सा लेना प्रारंभ करने लगते हैं, कलात्मक अधिगम में हमें अनेकानेक प्रयोग करते रहने चाहिए| जिसमें हमारी सहायता करने के लिए हमारा शिक्षा विभाग निरंतर प्रयासरत रहता है| कोरोना महामारी काल में हमारे विद्यालय छात्रों ने अनेक रूपों में अपने पठन कौशल को विकसित किया जिनमें आज के महत्तम और जटिल वातावरण में  कला के नए-नए आयामों के माध्यम से जिसे ऑनलाइन गतिविधि कहते हैं को मनोरंजक बनाया गया|

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