क्या है 'न्यू ईयर' की कहानी ? (वीडियो सहित) - Nai Ummid

क्या है 'न्यू ईयर' की कहानी ? (वीडियो सहित)



1 जनवरी के मध्यरात्रि 12ः00 बजे प्रतिवर्ष हम नया साल मनाते हैं। इस पर्व के अवसर पर हम जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए संकल्प लेते हैं। कुछ नया करने की बात करते हैं।  लेकिन क्या आपको पता है कि यह पर्व कब से और क्यों 1 जनवरी को मनाया जाता है। और कैसे इसकी शुरुआत हुई? 

वीडियो यहाँ देखें - https://youtu.be/6sa3aKL-zgI


हजारों साल पहले प्राचीन बेबीलोन में न्यू ईयर की शुरुआत हुई थी। परंतु उस समय नव वर्ष का यह उत्सव 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि थी। जो हिन्दुओं का नववर्ष माना जाता है। ग्यारह दिनों तक चलने वाले पर्व के रूप में यह वसंत ऋतु के पहले दिन से शुरू होता था। इसलिए सितंबर सातवां, अक्टूबर आठवां, नवम्बर नौवां और दिसंबर दसवां महीना माना जाता था। जैसा कि इनके नामों से स्पष्ट होता है। यह गणना रोमन कैलेंडर के अनुसार किया जाता था जो सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू हुआ और यह चन्द्रमा के चक्र के मुताबिक था। रोमन कैलेंडर अटकलबाजी के बलबूते बनाया गया था। जो 1 मार्च से शुरू होता था। तब एक साल में 304 दिन और कुल 10 महीने हुआ करते थे। मार्च से लेकर दिसम्बर तक, इन महीनों के नाम इस तरह थे मर्सिअस, एप्रिलिस, मैयास, जूनियस, कुइन्तिलिस, सेक्सटिलिस, सेप्टेम्बर, ओक्टोबर, नोवेम्बर, और डिसेम्बर। लेकिन सन 1570 के आसपास पोप ग्रेगरी तेरहवें ने क्रिस्टोफर क्लेवियस को एक नया कैलेंडर बनाने का जिम्मा सौंपा। इस तरह सन् 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर अस्तित्व में आया। तब से पूरी दुनिया में नए साल का उत्सव बदस्तूर 1 जनवरी को मनाया जाता है।

यह जश्न मनाने वाले शायद ही जानते हों कि दुनिया भर में पूरे 70 नववर्ष मनाए जाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि आज भी पूरी दुनिया कैलेण्डर प्रणाली पर एकमत नहीं हैं। इक्कीसवीं शताब्दी के वैज्ञानिक युग में इंसान अन्तरिक्ष में जा पहुँचा है, मगर कहीं सूर्य पर आधारित, कहीं चन्द्रमा पर आधारित तो कहीं सूर्य, चन्द्रमा और तारों की चाल पर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुनिया में विभिन्न कैलेण्डर प्रणालियाँ लागू हैं।

न्यू ईयर पर अमेरिका की बाल ड्रापिंग परंपरा



वैसे तो विश्व में वर्ष के अंतिम कुछ क्षणों में आतिशबाजी करते हुए पुराने साल को विदा और नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। परंतु अमेरिका में यह उत्सव अलग तरीके से मनाया जाता है। यहाँ का ‘बाल ड्रापिंग’ दुनिया का सबसे मशहूर बाल ड्रापिंग कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम न्यूयार्क शहर के टाइम्स स्क्वायर पर न्यू इयर्स ईव की मध्यरात्रि को होता है। इससे पहले डाउनटाउन मैनहट्टन के ट्रिनिटी चर्च के घंटे को सुनने के लिए आधी रात में लोग जमा होते थे। द न्यूयार्क टाइम्स ने सन 1904 में जन मानस को आकर्षित करने के लिए न्यूयार्क टाइम्स की ईमारत पर जोरदार आतिशबाजी की। इससे लोग आकर्षित तो हुए लेकिन पटाखों के कारण सड़कों पर गरम राख और पटाखों के टुकड़ों की बरसात हुई। जो कि हानिकारक होने के साथ कचरा जमा होने का भी कारण बना। इन्हीं वजहों से न्यूयार्क पुलिस ने वहां आतिशबाजी करने के कार्यक्रम पर प्रतिबंध लगा दिया। तब न्यूयार्क टाइम्स के मालिक एडोल्फ आक्स ने अपने चीफ इलेक्ट्रिशियन वाल्टर पाल्मर को नया रास्ता निकालने के लिए कहा। पाल्मर के डिजाइन के आधार पर आक्स ने आर्टक्राफ्ट स्ट्रास साइन कंपनी को लगभग 318 किलो की लोहे व लकड़ी से निर्मित और 25 वाट के 100 बल्बों से जड़ित बाल बनाने की जिम्मेदारी दी। इस बाल को पहली बार इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग कर सन् 1908 के बाल ड्रापिंग में प्रयोग किया गया।

कहां-कहां पर और कब होता है न्यू ईयर

नेपाल एवं भारत सहित कई देशों में नव वर्ष की तारीख कुछ और ही होता है। ग्रेगोरियन कलैंडर का अनुसरण वैसे तो पूरी दुनिया में हो रहा है लेकिन विभिन्न देशों में वहां की संस्कृति के अनुसार भी नया साल मनाने की परंपरा है। नेपाल में नववर्ष विक्रम संवत के अनुसार 1 गते बैसाख यानि लगभग 14 अप्रैल को मनाया जाता है। वहीं भारत में तो विभिन्न धर्म व संप्रदाय एक साथ रहते हैं। इन धर्मों व संप्रदायों के कैलेंडर भी अलग-अलग हैं अतः इनके नव वर्ष की तिथियां भी अलग-अलग होती हैं। हिंदू नववर्ष की बात करें तो यह चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है जो कि अंग्रेजी कैलेंडर वर्ष के अनुसार मार्च-अप्रैल माह में यानि वैशाखी के दिन पड़ता है।

चीन में भी अपना एक अलग कैलेंडर है। तकरीबन सभी पुरानी सभ्यताओं के अनुसार चीन का कैलेंडर भी चंद्रमा गणना पर आधारित है। इसका नया साल 21 जनवरी से 21 फरवरी के बीच पड़ता है। चीनी वर्ष के नाम 12 जानवरों के नाम पर रखे गए हैं। चीनी ज्योतिष में लोगों की राशियाँ भी 12 जानवरों के नाम पर होती हैं। लिहाजा यदि किसी की बंदर राशि है और नया वर्ष भी बंदर आ रहा हो तो वह साल उस व्यक्ति के लिए विशेष तौर पर भाग्यशाली माना जाता है। 

जापानी नव वर्ष ‘गनतन-साईं’ या ‘ओषोगत्सू’ के नाम से भी जाना जाता है। महायान बौद्ध 7 जनवरी, प्राचीन स्काट में 11 जनवरी, वेल्स के इवान वैली में नव वर्ष 12 जनवरी, सोवियत रूस के रुढिवादी चर्चों, आरमेनिया और रोम में नववर्ष 14 जनवरी को होता है। वहीं सेल्टिक, कोरिया, वियतनाम, तिब्बत, लेबनान में नव वर्ष 21 जनवरी को प्रारंभ होता है। प्राचीन आयरलैंड में नववर्ष 1 फरवरी को मनाया जाता है तो प्राचीन रोम में 1 मार्च को। इसके अतिरिक्त ईरान, प्राचीन रूस तथा भारत में बहाई, तेलुगू तथा जमशेदी (जोरोस्ट्रियन) का नया वर्ष 21 मार्च से शुरू होता है। प्राचीन ब्रिटेन में नव वर्ष 25 मार्च को प्रारंभ होता है।

  प्राचीन फ्रांस में 1 अप्रैल से अपना नया साल प्रारंभ करने की परंपरा थी। यह दिन ‘अप्रैल फूल’ के रुप में भी जाना जाता है। थाईलैंड, बर्मा, श्रीलंका, कम्बोडिया और लाओ के लोग 7 अप्रैल को बौद्ध नववर्ष मनाते हैं। वहीं कश्मीर के लोग अप्रैल में, दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों, बंगलादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, कम्बोडिया, बंगाल, श्रीलंका व तमिल क्षेत्रों में, नया वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इसी दिन श्रीलंका का राष्ट्रीय नव वर्ष मनाया जाता है। सिखों का नया साल भी 14 अप्रैल को मनाया जाता है। बौद्ध धर्म के कुछ अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा के दिन 17 अप्रैल को नया साल मनाते हैं। असम में नववर्ष 15 अप्रैल को, पारसी अपना नववर्ष 22 अप्रैल को, तो बेबीलोनियन नव वर्ष 24 अप्रैल से शुरू होता है। प्राचीन ग्रीक में नव वर्ष 21 जून को मनाया जाता था। प्राचीन जर्मनी में नया साल 29 जून को मनाने की परंपरा थी और प्राचीन अमेरिका में 1 जुलाई को। इसी प्रकार आरमेनियन कैलेण्डर 9 जुलाई से प्रारंभ होता है जबकि म्यांमार का नया साल 21 जुलाई से शुरू होता है।

इस्लामिक कैलेंडर में कब होता है न्यू ईयर



 इस्लाम धर्म के कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से जाना जाता है। इसका नववर्ष मोहर्रम माह के पहले दिन होता है। हिजरी कैलेंडर कर्बला की लड़ाई के पहले ही निर्धारित कर लिया गया था। मोहर्रम के दसवें दिन को आशूरा के रूप में जाना जाता है। इसी दिन पैगम्बर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन बगदाद के निकट कर्बला में शहीद हुए थे। हिजरी कैलेंडर के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि इसमें चंद्रमा की घटती - बढ़ती चाल के अनुसार दिनों का संयोजन नहीं किया गया है। लिहाजा इसके महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं।

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