मां दुर्गा का पूर्ण स्वरुप है महानवमी यानि ‘सिद्धिदात्री’
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
शारदीय नवरात्रि का अपना खास महत्व होता है और नवमी का हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व होता है। चैत्र में आने वाली नवमी को राम नवमी के रूप मनाया जाता है तो शारदीय नवरात्रि को महानवमी कहा जाता है। इस दिन नवमी की विशेष पूजा की जाती है, यह दिन सिद्धिदात्री समर्पित होता है। जोकि देवी का पूर्ण स्वरुप है। मां सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।
नौ दिनों तक चलने वाले मां के इस खास त्यौहार के आखिरी दिन जो लोग अपने घरों में माता को स्थापित करते हैं वो कन्या पूजन के साथ अपने पूजा और व्रत की समाप्ती करते हैं। मां दुर्गा के पूजा में अष्टमी और नौवमी दोनों का ही बेहद खास महत्व होता है। कुछ लोग अष्टमी को तो कुछ लोग नौवमी को कन्या पूजन करते हैं। ऐसे में अगर आप नवमी को कन्या पूज रहे हैं तो इसके लिए सुबह उठकर स्नान करें और अपने किचन को अच्छे से शाम को ही साफ कर लें ताकि सुबह जब आप मां को भोग का प्रसाद बनाएं तो आपको किचन का काम ना करने पड़े।
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