नेपाल में कांग्रेस रही नंबर 1 तो एमाले दूसरे नंबर पर
जब पार्टी का विभाजन होता है तो स्वाभाविक रूप से पार्टी को अंदुरूनी ही नहीं बल्कि बाहर से भी काफी असर पड़ता है। और जब चुनाव का समय हो तो पार्टी के सीटों पर हार/जीत का अंतर बखूबी होता है। बीते पांच सालों की बात करें तो इस दौरान कई पार्टियों में विभाजन हुआ। कुछ निकले तो कईयों को लेकर मूल पार्टी से निकलकर नई पार्टी का गठन किया। इनमें से एक प्रमुख पार्टी है एमाले। जिसमें दो फाड़ होने का असली प्रभाव अब देखने को मिल रहा है।
प्रतिनिधि सभा और प्रदेश सभा चुनाव का परिणाम सबके सामने है। जिसमें कांग्रेस 89 सीटों के साथ प्रतिनिधि सभा में पहली पार्टी बन गई है। जिसमें प्रत्यक्ष से 57 तो समानुपातिक से 32 सीटें कांग्रेस को मिली। तो वहीं एमाले 78 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही जिसमें प्रत्यक्ष से 44 तो समानुपातिक से 34 सीटें प्राप्त हुयी।
चूॅंकि अब चुनाव नतीजा हम सबके सामने में है। विश्लेषण करने पर पता चलेगा कि कि एमाले में दो फाड़ होने के कारण एमाले को कम से कम 28 सीटों का नुकसान हुआ। और वह राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यदि इसमें विभाजन नहीं हुआ होता तो एमाले प्रत्यक्ष और समानुपातिक रूप से सबसे बड़ी पार्टी होती। मालूम हो कि एमाले से फुटकर नेकपा एकीकृत समाजवादी पार्टी का गठन हुआ था।
इसी तरह माओवादी को प्रत्यक्ष से 18 सीटें तो समानुपातिक से 14 सीटें प्राप्त हुयी। इस प्रकार माओवादी तीसरे स्थान पर रही। चौंकाने वाली बात यह है कि नई पार्टी - ‘राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी’ प्रत्यक्ष से 20 सीटों के साथ प्रतिनिधि सभा में चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। इसे प्रत्यक्ष से सात और समानुपातिक से 13 सीटें हाथ आयी।
पांचवे स्थान पर राप्रपा रही। जिसे प्रत्यक्ष और समानुपातिक दोनों में ही सात-सात सीटें मिली। कुल मिलाकर इन्हें 14 सीट मिला। जबकि जसपा को प्रत्यक्ष से सात और समानुपातिक से पांच सीटें ही हाथ लगी। इस प्रकार जसपा छठें स्थान पर रही। जेएसपी, जिसे प्रत्यक्ष रूप से सात सीटें और आनुपातिक रूप से पांच सीटें मिलीं, 12 सीटों के साथ छठे स्थान पर रही। जबकि एकीकृत समाजवादी को प्रत्यक्ष से केवल 10 सीटें मिलीं। यह समानुपातिक सीट लेने में असफल रही।
इसी तरह, जनमत पार्टी को प्रत्यक्ष से 1 और समानुपातिक से 5 कुल मिलाकर 6 सीटें प्राप्त हुयी। वहीं लोसपा को प्रत्यक्ष से 4, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी को 3 सीटें और जन मोर्चा और नेमकीपा को 1-1 सीट हाथ लगी। इन दलों को समानुपातिक से एक भी सीट हासिल नहीं हुआ। इसके अलावा स्वतंत्र उम्मीदवारों में से केवल पाॅंच उम्मीदवार प्रतिनिधि सभा चुनाव जीतने में सफल रहे।
यहां यह बताते चले कि 275 सीटों वाली प्रतिनिधि सभा में 138 सीटों का बहुमत हासिल करने वाली पार्टी सरकार बना सकती है। सत्ताधारी गठबंधन की पांच पार्टियों द्वारा जीती गई सीटों को जोड़ने पर योग केवल 136 होता है। सरकार बनाने के लिए गठबंधन को अपने साथ छोटे दलों या निर्दलीय सांसदों को लेकर चलना पड़ेगा।
अब वो दिन दूर नहीं कि केंद्र से लेकर प्रदेश तक सरकार बनने की प्रक्रिया तेज हो जाएगी। जहां जनता द्वारा चुनने का काम पूरा हो गया है तो अब राजनीतिक दलों की बारी है कि वो किसे मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पद का कमान सौंपे।
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